Delhi HC to CDSCO: दिल्ली हाईकोर्ट ने मधुमेह (टाइप 2 डायबिटीज़) के इलाज के लिए स्वीकृत शक्तिशाली दवाओं का वजन घटाने के लिए हो रहे दुरुपयोग को गंभीरता से लेते हुए केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) और औषधि नियंत्रक महा निदेशक (DCGI) को इस पर विचार कर उचित निर्णय लेने का निर्देश दिया है।
यह निर्देश फिटनेस उद्यमी और FITTR के संस्थापक जितेंद्र चौकसे द्वारा दायर एक जनहित याचिका (PIL) पर सुनवाई के दौरान दिया गया।
याचिका में जिन दवाओं पर चिंता जताई गई है वे हैं:
- Ozempic (सेमाग्लूटाइड)
- Mounjaro (टिरजेपाटाइड)
- Victoza (लिराग्लूटाइड)
इन सभी को मूल रूप से टाइप 2 डायबिटीज़ के इलाज के लिए विकसित किया गया था, लेकिन वर्तमान में इन्हें वजन घटाने के लिए व्यापक रूप से ऑफ-लेबल (अनुमोदित उपयोग से इतर) प्रयोग में लाया जा रहा है।
मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की खंडपीठ ने सुनवाई के दौरान इन दवाओं के अनियंत्रित प्रचार और उपयोग पर गहरी चिंता व्यक्त की। अदालत ने टिप्पणी की, “ऐसी गंभीर दवाओं को विनियमित करना आवश्यक है।” न्यायमूर्ति गेडेला ने कहा, “अगर जिम ट्रेनर इन दवाओं को लोगों को दे रहे हैं या इंजेक्ट कर रहे हैं, तो ऐसे मामलों की पुलिस में रिपोर्ट (CDSCO) होनी चाहिए।”
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प्रभावशाली व्यक्तियों और सोशल मीडिया का दुरुपयोग
वरिष्ठ अधिवक्ता दिया कपूर ने अदालत को बताया कि ये दवाएं अब “मैजिक फॉर्मूला” की तरह प्रचारित की जा रही हैं और बिना किसी चिकित्सकीय पर्यवेक्षण के जिम और वेलनेस क्लीनिक में प्रयोग हो रही हैं। इनका प्रचार सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स और वेलनेस प्लेटफॉर्म्स द्वारा किया जा रहा है, जिनका मुख्य लक्ष्य युवा आबादी है, जबकि संभावित दुष्प्रभावों के बारे में कोई चेतावनी नहीं दी जाती।
याचिका में क्या कहा गया?
- इन दवाओं को भारत में गैर-डायबिटिक वजन घटाने के इलाज के लिए CDSCO द्वारा जिन सीमित अवधि की प्रभावशीलता (short-term efficacy) परीक्षणों के आधार पर स्वीकृति दी गई, वे अपर्याप्त हैं।
- भारतीय आबादी पर इनके सुरक्षा मूल्यांकन का कोई मजबूत डेटा मौजूद नहीं है।
- इन दवाओं के दुष्प्रभावों में अग्न्याशय (pancreas) से जुड़ी सूजन, थायरॉयड और अग्नाशय का कैंसर, हृदय और न्यूरोलॉजिकल समस्याएं शामिल हैं।
- यूके की एक रिपोर्ट के अनुसार, GLP-1 रिसेप्टर एगोनिस्ट दवाओं के कारण 82 मौतें हो चुकी हैं।
Shefali Jariwala की मौत का ज़िक्र
अदालत ने हाल ही में टीवी एक्ट्रेस शेफाली जरीवाला की कथित मौत और अन्य अप्राकृतिक घटनाओं का ज़िक्र करते हुए कहा कि यह एक गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य मुद्दा बनता जा रहा है और इस पर समग्र रूप से ध्यान देने की ज़रूरत है।
जनहित याचिका में क्या मांगे रखी गईं
- गैर-डायबिटिक मरीजों के लिए इन दवाओं की स्वीकृति तत्काल प्रभाव से निलंबित की जाए।
- वजन घटाने के लिए इनके विपणन पर प्रतिबंध लगाया जाए।
- क्लीनिकल ट्रायल और सुरक्षा डेटा सार्वजनिक किया जाए।
- इन दवाओं के खतरे को लेकर सार्वजनिक चेतावनी जारी की जाए।
कोर्ट का निर्देश
हालांकि कोर्ट ने PIL का निपटारा कर दिया, लेकिन CDSCO और DCGI को निर्देश दिया कि वे याचिकाकर्ता द्वारा उठाए गए मुद्दों पर विचार करें और तीन महीने के भीतर विशेषज्ञों, निर्माताओं और संबंधित पक्षों से परामर्श कर निर्णय लें। साथ ही याचिकाकर्ता को दो सप्ताह में सभी दस्तावेजों के साथ एक अतिरिक्त अभ्यावेदन प्रस्तुत करने की अनुमति भी दी गई।
क्या कहा याचिकाकर्ता ने?
फिटनेस क्षेत्र से जुड़े याचिकाकर्ता का तर्क था कि बिना उचित चिकित्सकीय आवश्यकता और दीर्घकालिक अध्ययन के इन दवाओं का प्रयोग अब एक खतरनाक फैशन बन गया है, जिसे रोकना जरूरी है ताकि यह एक सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट न बन जाए।
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