NTEP: देश में टीबी (क्षय रोग) के इलाज में इस्तेमाल होने वाली महत्वपूर्ण दवाओं के अनियंत्रित उपयोग पर लगाम लगाने के उद्देश्य से, ड्रग्स कंसल्टेटिव कमेटी (DCC) ने बेडाक्विलिन, डेलामैनिड, प्रेटोमैनिड और रिफापैंटीन जैसी दवाओं के लाइसेंस सख्त शर्तों के साथ जारी करने की सिफारिश की है।
इन दवाओं का उपयोग केवल राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन कार्यक्रम (NTEP) के तहत और भारत में टीबी देखभाल मानकों (STCI) के अनुसार ही करने की अनुमति होगी।
यह निर्णय 17 जून 2025 को CDSCO मुख्यालय, नई दिल्ली में आयोजित 66वीं डीसीसी बैठक में लिया गया, जिसकी अध्यक्षता ड्रग्स कंट्रोलर जनरल (इंडिया) डॉ. राजीव सिंह रघुवंशी ने की।
प्राइवेट सेक्टर में बेतरतीब उपलब्धता बनी चिंता का कारण
कमेटी को सूचित किया गया कि स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के केंद्रीय टीबी प्रभाग ने सीडीएससीओ को जानकारी दी है कि बेडाक्विलिन और डेलामैनिड के पेटेंट पिछले वर्ष समाप्त हो चुके हैं, जिसके बाद कई दवा कंपनियों ने इनका उत्पादन शुरू कर दिया है और ये दवाएं अब निजी बाजार में आसानी से उपलब्ध हो गई हैं।
प्रभाग ने चेताया कि इस प्रकार की खुली उपलब्धता से दवाओं के अनियमित और अनुचित उपयोग की संभावना बढ़ जाती है, जिससे इलाज की असफलता और दवा प्रतिरोधकता (Drug Resistance) के मामलों में वृद्धि हो सकती है।
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शर्तों के साथ लाइसेंसिंग और NTEP लेबल की सिफारिश
डीसीसी ने स्पष्ट रूप से कहा कि इन दवाओं के लाइसेंस को भारत में टीबी देखभाल मानकों (STCI) के अनुसार और केवल राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन कार्यक्रम (NTEP) के माध्यम से उपयोग की शर्तों के साथ जारी किया जाना चाहिए।
इसके साथ ही समिति ने यह भी सिफारिश की कि यदि पहले से जारी लाइसेंस में इन शर्तों का उल्लेख नहीं है, तो उन्हें संशोधित किया जाए।
दवाओं की गलत और अनधिकृत खपत रोकने के लिए लेबलिंग में भी सख्ती की सिफारिश की गई है। प्रस्तावित चेतावनी में कहा गया है कि ‘चेतावनी: केवल राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन कार्यक्रम (NTEP) के उपयोग के लिए’ यह चेतावनी लाल रंग की पृष्ठभूमि में बॉक्स में दवा की बोतल और उसके बाहरी पैकिंग पर अनिवार्य रूप से दर्ज होनी चाहिए।
राज्य औषधि लाइसेंसिंग प्राधिकरणों (SLAs) को निर्देश
कमेटी ने यह भी बताया कि इन दवाओं को अब बाजार में चार साल से अधिक हो गए हैं, इसलिए वे “नई दवाएं” नहीं मानी जातीं और राज्य औषधि लाइसेंसिंग प्राधिकरण (SLA) इनके लाइसेंस जारी करने के लिए अधिकृत हैं। लेकिन, उन्हें इन सिफारिशों और शर्तों का पालन अनिवार्य रूप से करना होगा।
डीसीसी ने सभी एसएलए को एकरूप दिशा-निर्देश देने की बात पर सहमति जताई और कहा कि जिन राज्यों में पहले ही बिना शर्तों के लाइसेंस दिए जा चुके हैं, वहां अलग से पत्र जारी कर निर्माताओं को इन शर्तों की जानकारी दी जाए।
महत्वपूर्ण मोड़ पर आया फैसला
यह सिफारिश उस समय आई है जब भारत टीबी उन्मूलन (NTEP) के अपने लक्ष्य की दिशा में महत्वपूर्ण कदम बढ़ा रहा है। पेटेंट समाप्त होने के कारण जहां इन दवाओं की लागत में कमी और उपलब्धता में वृद्धि की संभावना है, वहीं निजी क्षेत्र में अनियंत्रित उपयोग इस प्रयास को कमजोर कर सकता है।
नीचे दिए गए PDF में पढ़ें पूरा आदेश:-
Minutes-of-66th-DCC-17.06.2025
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