Punjab Doctors Shut OPD: पंजाब में एमबीबीएस और बीडीएस कोर्सों की बढ़ी हुई फीस के खिलाफ रेजिडेंट डॉक्टर्स ने मोर्चा खोल दिया है।
प्रदेश भर के डॉक्टर अब विरोध प्रदर्शन पर उतर आए हैं और मुख्यमंत्री भगवंत मान को पत्र लिखकर नए शुल्क ढांचे को तुरंत वापस लेने की मांग की है। साथ ही, पटियाला और फरीदकोट के डॉक्टर्स ने ओपीडी सेवाएं बंद कर दी हैं।
पंजाब सिविल मेडिकल सर्विसेज एसोसिएशन (PCMSA) के संयुक्त सचिव और RDA पटियाला के सलाहकार डॉ. मिलन प्रीत ने बताया कि बढ़ी हुई फीस से ग्रामीण और आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों को सबसे अधिक नुकसान होगा। उन्होंने कहा कि RDA पटियाला ने ओपीडी बंद (Punjab Doctors Shut OPD) रखने का फैसला किया है जब तक कि सरकार उनकी मांगें नहीं मानती।
Punjab Doctors Shut OPD: पहले ही स्टाइपेंड फीस से अधिक था
नए शुल्क ढांचे के तहत 2025-26 सत्र से सरकारी मेडिकल कॉलेजों (Punjab Doctors Shut OPD) में MBBS कोर्स की फीस ₹9.98 लाख कर दी गई है, जबकि NRI कोटे में यह $1,10,000 तय की गई है। डॉक्टरों का कहना है कि पहले पांच साल की फीस, इंटर्नशिप के स्टाइपेंड से कम होती थी लेकिन अब फीस कई गुना बढ़ गई है जबकि स्टाइपेंड में कोई खास वृद्धि नहीं हुई।
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पंजाब बना सबसे महंगी फीस और सबसे कम स्टाइपेंड वाला राज्य
डॉक्टर्स ने आरोप लगाया कि इस फैसले (Punjab Doctors Shut OPD) से पंजाब देश का ऐसा राज्य बन गया है जहां मेडिकल फीस सबसे अधिक और इंटर्नशिप का स्टाइपेंड सबसे कम है। जहां 2020 बैच ने ₹7.8 लाख फीस दी थी और ₹15,000 महीना स्टाइपेंड मिल रहा है, वहीं अब फीस ₹9.98 लाख हो गई है।
मुख्यमंत्री को सौंपा गया ज्ञापन
डॉक्टर्स ने अपने पत्र में यह भी मांग की है कि-
- स्टाइपेंड को पड़ोसी राज्यों के बराबर किया जाए
- डीए (महंगाई भत्ता) को स्टाइपेंड से लिंक किया जाए
- नॉन-प्रैक्टिसिंग अलाउंस (NPA) को बहाल किया जाए
- ओवरटाइम और वर्किंग ऑवर्स को मानवोचित बनाया जाए
- अव्यवस्थित यूनिवर्सिटी फीस को खत्म किया जाए
मांगें नहीं मानी गईं तो पूरे राज्य में आंदोलन
RDA पटियाला ने अपने पत्र में लिखा (Punjab Doctors Shut OPD) है कि हम सेवा के खिलाफ नहीं, शोषण के खिलाफ हैं। यदि सरकार हमारी बात नहीं सुनती तो यह आंदोलन पूरे पंजाब के मेडिकल कॉलेजों में फैलेगा और स्वास्थ्य सेवाएं ठप पड़ जाएंगी।
डॉक्टरों का बड़ा सवाल
डॉक्टरों ने नए शुल्क ढांचे को “असंवेदनशील” और “संविधान विरोधी” बताया। उन्होंने लिखा कि यह नीति प्रतिभाशाली छात्रों को पंजाब छोड़ने पर मजबूर कर देगी और सार्वजनिक स्वास्थ्य तंत्र को खोखला बना देगी।
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