दिल्ली के वर्धमान महावीर मेडिकल कॉलेज (VMMC) और सफदरजंग अस्पताल में अस्थायी जूनियर रेजिडेंट (जेआर) के मात्र 194 पदों के लिए 2500 से अधिक MBBS डॉक्टर्स की भारी भीड़ उमड़ी। इस घटना ने देश में चिकित्सा क्षेत्र में बढ़ती बेरोजगारी की गंभीर समस्या को उजागर कर दिया है।
इस स्थिति को लेकर डॉ. महेश कुमार गुर्जर (VMMC) ने चयन स्थल से भीड़ की तस्वीरें साझा करते हुए लिखा, “MBBS अब बेरोजगारी में B.A. और B.Tech से आगे निकलता जा रहा है। सिर्फ 194 अस्थायी पदों के लिए 2500 से ज्यादा उम्मीदवार पहुंचे।”
डॉक्टरों का दर्द- ‘MBBS करने के बाद भी नौकरी नहीं’
मेडिकल डायलॉग के अनुसार, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA MSN) से जुड़े डॉ. करण जुनेजा ने से बात करते हुए कहा कि यह एक बेहद चिंताजनक स्थिति है। उन्होंने देश में अनियंत्रित तरीके से बढ़ रहे मेडिकल कॉलेजों और सीटों पर सवाल उठाए और कहा कि नौकरियों की संख्या उतनी तेजी से नहीं बढ़ रही, जितनी मेडिकल ग्रेजुएट्स की।
डॉ. करण जुनेजा ने कहा कि यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। नए मेडिकल कॉलेजों की बेतहाशा बढ़ोतरी पर तुरंत नियंत्रण की ज़रूरत है। साथ ही योग्य डॉक्टरों के लिए नियमित रूप से भर्ती अभियान चलाए जाने चाहिए।
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VMMC: अस्थायी नौकरी की तलाश
डॉ. धीरेज महेश्वरी, असिस्टेंट प्रोफेसर, फॉरेंसिक मेडिसिन, ने सोशल मीडिया पर लिखा कि क्या ये स्थिति सिर्फ दिल्ली की है या पूरे भारत की? कई FMG उम्मीदवार जो NEET-PG की तैयारी कर रहे हैं, वे पार्ट-टाइम नौकरी ढूंढ रहे हैं। लेकिन इस तरह MBBS डॉक्टर बेरोजगार रहना एक गंभीर चिंता का विषय है।
स्वास्थ्य क्षेत्र की योजना और प्रबंधन पर उठे सवाल
इस पूरे घटनाक्रम ने भारत में स्वास्थ्य सेवाओं की योजना और संसाधन प्रबंधन पर सवाल खड़े कर दिए हैं। एक ओर डॉक्टरों की भीड़ नौकरी के लिए संघर्ष कर रही है, वहीं दूसरी ओर ग्रामीण व दूरदराज इलाकों में डॉक्टरों की कमी बनी हुई है। यह विरोधाभास बताता है कि व्यवस्था में कहीं न कहीं गहरा असंतुलन है, जिसे तुरंत दूर किए जाने की आवश्यकता है।
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