भारत की केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) ने निष्क्रिय (Unused) या एक्सपायर्ड दवाओं के सुरक्षित निपटान के लिए एक व्यापक गाइडेंस जारी की है।
इस गाइडलाइन में 17 ऐसी दवाओं की सूची दी गई है, जिन्हें गलती से निगलना जानवरों या बच्चों के लिए घातक हो सकता है। ऐसे मामलों से बचने के लिए इन दवाओं को टॉयलेट या सिंक में फ्लश करने की सलाह दी गई है।
यह सूची “Guidance Document on Disposal of Expired/Unused Drugs (WI/01/DCC-P-25)” के परिशिष्ट-डी (Annexure D) में दी गई है और यह पहल दवाओं के अनुचित निपटान से होने वाले सार्वजनिक स्वास्थ्य जोखिमों को कम करने की दिशा में एक बड़ा कदम मानी जा रही है।
CDSCO के अनुसार इन 17 दवाओं को करें फ्लश:
फ्लश करने की सिफारिश की गई दवाएं मुख्यतः मादक पदार्थ (narcotics), शामक (sedatives) और उत्तेजक (stimulants) श्रेणी की हैं, जो NDPS अधिनियम और ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट के अंतर्गत नियंत्रित होती हैं। इनमें शामिल हैं:
- Fentanyl
- Fentanyl Citrate
- Morphine Sulfate
- Buprenorphine
- Buprenorphine Hydrochloride
- Methylphenidate
- Meperidine Hydrochloride
- Diazepam
- Hydromorphone Hydrochloride
- Methadone Hydrochloride
- Hydrocodone Bitartrate
- Tapentadol
- Oxymorphone Hydrochloride
- Oxycodone
- Oxycodone Hydrochloride
- Sodium Oxybate
- Tramadol
क्यों जरूरी है फ्लश करना?
हालांकि आमतौर पर दवाओं को फ्लश करना पर्यावरण के लिए हानिकारक माना जाता है, लेकिन CDSCO ने इन दवाओं को अपवाद स्वरूप चिह्नित किया है। CDSCO का कहना है कि यदि कोई और सुरक्षित निपटान विकल्प मौजूद न हो, तो इन दवाओं को तुरंत फ्लश कर देना चाहिए, क्योंकि केवल एक खुराक भी किसी अनधिकृत व्यक्ति विशेष रूप से बच्चों और पालतू जानवरों के लिए जानलेवा हो सकती है।
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ड्रग टेक-बैक प्रोग्राम की सिफारिश
CDSCO ने राज्य सरकारों और स्थानीय प्राधिकरणों से अपील की है कि वे “ड्रग टेक बैक” केंद्र स्थापित करें, जहां लोग अपने घरों से एक्सपायर्ड या बची हुई दवाओं को जमा कर सकें। इन केंद्रों का संचालन स्थानीय कैमिस्ट संघों की मदद से किया जा सकता है और एकत्र दवाओं को अधिकृत बायोमेडिकल वेस्ट हैंडलर्स के जरिए निष्पादित किया जाना चाहिए।
एजेंसी ने यह भी चेताया कि अनवैज्ञानिक तरीके से दवाओं का निपटान पर्यावरण प्रदूषण के प्रमुख कारणों में से एक है, और विशेष रूप से एंटीबायोटिक्स के अनुचित निपटान को एंटीमाइक्रोबियल रेसिस्टेंस (AMR) से जोड़ा है।
विभिन्न हितधारकों के लिए विस्तृत दिशानिर्देश
गाइडलाइन में खुदरा विक्रेताओं, थोक विक्रेताओं, अस्पतालों, निर्माताओं और ड्रग इंस्पेक्टरों के लिए विस्तृत निपटान प्रक्रिया दी गई है। उदाहरण के लिए, रिटेलर्स को एक्सपायर्ड स्टॉक 30 दिनों के भीतर वापस भेजना होगा और उसकी रिकार्डिंग Annexure A के अनुसार करनी होगी।
निर्माताओं को यह सुनिश्चित करना होगा कि एक्सपायरी के 6 महीने बाद कोई भी दवा सप्लाई चेन में उपलब्ध न हो।
खास दवाओं के लिए विशेष प्रावधान
रेडियोएक्टिव और साइटोटॉक्सिक दवाओं के लिए अलग-अलग निपटान प्रणाली निर्धारित की गई है। गाइडलाइन में चेतावनी दी गई है कि एंटी-निओप्लास्टिक दवाओं को सीधे लैंडफिल में नहीं फेंका जाना चाहिए, जब तक कि उन्हें एनकैप्सुलेशन या इनर्टाइजेशन प्रक्रिया से न गुजारा गया हो… लो या मीडियम तापमान इनसिनरेशन की अनुमति नहीं है।
इसी तरह, “नियंत्रित पदार्थों (Controlled Substances)” को NDPS नियम, 1985 के तहत और उचित सूचना के बाद ही निष्पादित करने के निर्देश दिए गए हैं।
निष्कर्ष:
CDSCO की यह नई गाइडलाइन भारत में दवाओं के सुरक्षित निपटान की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण पहल है। यह न केवल मानव स्वास्थ्य की सुरक्षा सुनिश्चित करती है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण की दिशा में भी एक अहम कदम है।
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